पाले से फसल को बचाने के आसान तरीके

सर्दियों में दिसम्बर व जनवरी के महीनों में पाले के आने की संभावना होती है, जिससे फसलों को काफी नुकसान होता है। अगर रात का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस हो जाता है या इससे नीचे चला जाता है तो पौधों की कोशिकाओं के रिक्त स्थानों में उपलब्ध जलिए घोल ठोस बर्फ में बदल जाता है जिसका घनत्व अधिक होता है। इससे कोशिकाओं की दीवारें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तथा स्टोमेटा नष्ट हो जाते हैं इससे कार्बन डाइआक्साइड, आक्सीजन और वाष्प की विनिमय प्रक्रिया में बाधा पड़ती है। इस लिए नेशनल कृषि मेल इससे बचने के लिए कुछ जानकारियां दे रहा है। 



छिडकाव सिंचाई करके 
इसके लिए हमें पौधों की पत्तियों पर शाम के समय हल्की सिंचाई करनी चाहिए। छिडकाव सिंचाई करने से पौधे अव्यक्त गर्मी (लेटेंट हीट) रिहाई करते हैं, जिससे ठंड से सुरक्षा प्रदान की जा सकती हैं। 
रेत से उपचार करके  
हर साल खेत में थोड़ी मात्रा में रेत के इस्तेमाल से फसलों में पाले का असर कम हो जाता है, क्योंकि रेतीली मिटटी सौर विकिरण से जल्दी व अधिक गर्म हो जाती है। रेतीली मिट्टी को दोमट मिट्टी में मिलाने से तापमान में वृद्धि हो जाती है। 
वायु अवरोधक  
ये अवरोधक शीत लहरों की तीव्रता को कम करके फसल को पाले के नुकसान से बचाते हैं। सुखा खरपतवार तथा सूखी लकड़ियां हवा के विपरीत दिशा में जलाने से भी पाले में कमी आती है । प्लास्टिक का पलवार, घास की पुआल का उपयोग करने से भी फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। क्योंकि इनका सर्दियों में उपयोग करने से मृदा का तापमान 2 से 3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। फलवृक्षों की पौध को पाले से बचाने के लिए पुआल या किसी अन्य वस्तु से धूप आने वाली दिशा को छोड़कर ढक देना चाहिए।