धार(मप्र)। बदनावर तहसील के ग्राम जाबड़ा के उन्नत कृषक ईश्वरलाल पाटीदार पहले पारम्परिक खेती करते थे। जिससे उनकी आमदनी अधिक नही हो पाती थी। वे उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले से सम्पर्क में आएं और योजनाओं की जानकारी प्राप्त होने पर योजना का लाभ लेने के लिए प्रयास किया। नवाचारों का प्रयोग कर उन्होंने खेती को न केवल लाभ का धंधा बनाया बल्कि उनके पास 14 एकड़ कृषि भूमि है वह 3 एकड़ क्षेत्र में अमरूद, 1 एकड़ क्षेत्र में एप्पलबोर, 1 एकड़ क्षेत्र में नेट, 1 हेक्टेयऱ क्षेत्र में निम्बू और 1 हेक्टेयऱ क्षेत्र लहसुन की खेती कर रहे है। वह फल क्षेत्र विस्तार योजना के तहत प्रति एकड़ 24 हजार रूपये के मान से 72 हजार रूपये का अनुदान लाभ लिया।
ये रही सिंचाई की व्यवस्था
उनका एक कुंआ तथा 1 स्टोरेज टैंक हैं। इस स्टोरेज टैंक की क्षमता 3 लाख लीटर पानी की है। इसके अलावा 2 ट्यूबवेल भी हैंं। वह इन स्तोत्रों के अलावा डूमाला डेम से 7 हजार फीट पाईप लाईन बिछाकर सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था की गई हैं। उन्होंने वी.एन.आर. नर्सरी रायपुर से अमरूद के पौधें प्रति पौधा 170 रूपये के मान से 1200 पौधें 3 साल 4 माह पूर्व लाकर अपने खते में लगाएं थे। वह पहली बार यह फसल ले रहे है। एक फसल ले ली गई है। लगभग 3 लाख रूपये की अमरूद की फसल बेची है। यह फसल आसपास क्षेत्र के 4-5 गांव के किसान मिलकर ट्रक के माध्यम से दिल्ली विक्रय के लिए भेजते हैं। पिछले साल 60 से 80 रूपये प्रति किलो अमरूद बेचे थे। 5 मजदूरों को प्रतिदिन रोजगार उपलब्ध कराया जाता हैं। पौधे को खड़े करने और बोझ वहन करने के लिए 15-15 फीट की दूरी पर एंगल लगाएं गए हैं। इन एंगलों पर जिंक कोटेट तार लगाए जाते हैं जिसमें अमरूद के पौधों की शाखाओं को बांधा जाता है ताकि फलों का भार सहन कर सकें। फल की सुरक्षा के लिए फल के ऊपर फोम, पोलीथीन व पेपर का कव्हर लगाया जाता हैं जो धूप, पक्षी व सूक्ष्म कीट व कीटनाशक दवाई से फल को बचाता हैं।
ऐसे देते हैं पोषक तत्व
इस फलोद्यान में खाद, ड्रिप सिंचाई पद्धति से एन.पी.के. व अन्य माईक्रों न्यूट्रिएन अर्थात सूक्ष्म पोषक तत्व दिया जाता हैं। इन फसलों में 50-50 प्रतिशत जैविक तथा रासायनिक उवर्रक भी उपयोग में लाया जाता हैं। वह इस फसल के अलावा खीराककड़ी, नेट हाउस व पत्तागोभी नेट हाउस में तथा एप्पलबोर की फसल की खेती भी कर रहे हैं। इन सभी फसलों से उन्हें लगभग 15 लाख रूपये की आमदनी हो जाती हैं। जिसमें 5 लाख रूपये फसलों पर किया गया व्यय भी शामिल है। इतना ही नहीं सोलर ऊर्जा से संचालित सिंचाई पम्प भी स्थापित किए है। तीन हार्सपावर सोलर ऊर्जा से संचालित सिंचाई पम्प पर उद्यानिकी विभाग की अनुदान योजना पर 85 प्रतिशत अनुदान अर्थात 2 लाख 4 हजार रूपये अनुदान का लाभ भी लिया हैं। आधूनिक तरीके से खेती करने पर उनकी माली हालत में काफी सुधार हुआ हैं और उनके परिवार में भी खुशहाली आई हैं।