खेतों की खरपतवार किसानों के लिए बन सकती है वरदान

नष्ट करने के बजाय खाद के रूप में हो सकता उपयोग
बैतूल/मुलताई । खेतों में लहलहाती फसलों के बीच अनपेक्षित उगआने वाली खरपतवार किसानों के लिए बड़ी समस्या है, किसान के खेतों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाली इन खरपतवार को नष्ट करने के लिए किसान महंगे निंदा नाशक का उपयोग करते हैं, जिससे ना सिर्फ किसानों को आर्थिक क्षति होती है बल्कि भूमि के उर्वरक क्षमता को भी भारी नुकसान होता है। शासकीय कन्या शाला मुलताई की छात्रा लीना दिनेश कालभोर, हेमलता गेंदराव कदम बाल वैज्ञानिकों ने अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से खरपतवार को किसानों के लिए वरदान बनाए जाने संबंधी प्रोजेक्ट बनाया है, जो कि बाल विज्ञान कांग्रेस प्रदेश स्तर से चयनित होकर राष्ट्रीय सेमिनार विज्ञान मेले के लिए स्वीकृत किया गया।



इन छात्रा बाल वैज्ञानिकों का दावा है की मुलताई क्षेत्र के खेतों में नौ प्रकार की खरपतवार पाई जाती है, जोकि खुद-ब-खुद उगआने के बाद फसलों को नुकसान पहुंचाती है। किसान अगर इन खरपतवार को निंदा नाशक के माध्यम से नष्ट करने के बजाए अगर खाद में परिवर्तित कर देते हैं तो यह बहुमूल्य जैविक खाद हो सकती है, जो किसान को निंदा नाशक के भारी खर्चे से बचाने के साथ ही भूमि की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी साथ ही इस खाद से उत्पन्न होने वाली फसल पूरी तरह  ऑर्गेनिक होंगी जो मानव के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगी। मार्गदर्शक शिक्षक परवीन जैन बताते हैं कि छात्राओं द्वारा बनाए गए प्रोजेक्ट में खरपतवार से जैविक खाद निर्माण की विधि भी अत्यंत सरल है 9 प्रकार की खरपतवार को निकालकर आसान विधि के माध्यम से आसानी से अत्यंत ऊर्जावान जैविक खाद का निर्माण किया जा सकता है। मुलताई क्षेत्र में खेतों में पाई जाने वाली मुख्य खरपतवार  में चिरोटा, गिलोय, दवना, अडसा, चौलाई, कमर मोड़ी ,पाताल प्रमुख है । लीना कालभोर बताती है कि यह खरपतवार जिसे नष्ट करने के लिए हम निंदा नाशक के माध्यम से निरंतर उर्वरक क्षमता को नुकसान पहुंचा रहे हैं इन खरपतवार में अनेक औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। यह पूछे जाने पर कि इसकी प्रेरणा कहां से मिली लीना बताती है कि उनके पिता दिनेश कालभोर कृषक है और किसान के लिए खरपतवार एक बड़ी समस्या है जिससे मुझे प्रेरणा मिली और शिक्षकों के मार्गदर्शन से प्रोजेक्ट तैयार किया है जो कि राष्ट्रीय स्तर पर तिरुअनंतपुरम में होने वाले राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस सेमिनार में शोध पत्र पढ़ा जाएगा।


कैसे करें खरपतवार से जैविक खाद निर्माण
खेतों में अपने आप  पैदा होने वाली खरपतवार को किसान निंदा नाशक के माध्यम से नष्ट करने के बजाए निकालकर खेतों मे गड्ढा खोदकर इस खरपतवार को गड्ढे में डाल दे इसके ऊपर मिट्टी एवं गोबर का घोल डालदे, परत दर परत इसे गद्दे के सतह तक लाए इसके उपरांत गोबर की परत से  इस गड्ढे को बंद कर दे इसे छायादार स्थान पर एक माह तक रहने दे एक माह के उपरांत इसे छानकर खाद के रूप में उपयोग करें, इस खाद को छानने के बाद जो मोटा भाग के डंठल निकलते हैं इसे पुनः खाद प्रक्रिया में शामिल करें।


केंचुआ खाद गोबर खाद एवं खरपतवार जैविक खाद तत्व अध्ययन
खरपतवार जैविक खाद
नाइट्रोजन 1.05 फास्फोरस 0.84 पोटास 1.11 कैल्शियम 0.90 मैग्नीशियम 0.55


गोबर खाद
नाइट्रोजन 0.45 फास्फोरस 0.30 पोटास एप 0. 45 कैल्शियम 0.59 मैग्निशियम 0.28 गोबर खाद एवं खरपतवार से बने जैविक खाद के तुलनात्मक अध्यन के माध्यम से बाल वैज्ञानिक यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि गोबर एवं केंचुआ खाद की तुलना में खरपतवार से बनाई गई कंपोस्ट खाद भूमि के लिए अधिक उर्वरक क्षमता प्रदान करता है क्योंकि इसमें अधिक पोषक तत्व तुलनात्मक रूप से पाए जाते हैं।


इनका कहना
खरपतवार से बनाए गए जैविक खाद में अधिक उर्वरक क्षमता पाई जाती है क्षेत्र में खरपतवार के रूप में पाई जाने वाली लेगीमेनिसी परिवार की खरपतवार वातावरण से नाइट्रोजन लेकर भूमि को उर्वरक क्षमता प्रदान करती है।
डॉ एपी पुरंदरे
कृषि विज्ञानिक मुलताई


राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस के लिए चयनित इस प्रोजेक्ट से संपूर्ण शाला गौरवान्वित है खरपतवार से खाद निर्माण से किसानों के आय में वृद्धि एवं भूमि की गुणवत्ता की रक्षा हो सकेगी।
प्रमोद कुमार नरवरे
प्राचार्य शासकीय कन्या शाला मुलताई