ट्रैक्टर चलित सेमी एवं आटोमेटिक आलू प्लान्टर

एनकेएम,भोपाल। किसानों के लिये आलू की बुवाई एक अत्यंत खर्च वाला कार्य होता है परन्तु आलू बोने वाले यंत्र की सहायता ये काम कम खर्च में व समय समय में बेहतर तरीके किया जा सकता है। इस यंत्र की बनावट इस प्रकार होती है - इसमें एक लोहे का एक फ्रेम होता है जिस पर फरो ओपनर लगे होते हैं। फ्रेम पर एक सीड बॉक्स (आलू भरने का हापर) लगा होता है तथा कतारों की संख्यानुसार 2, 3 या 4 घूमने वाली डिस्क लगी होती हैं जिनमे आलू के साईज के होल कटे होते हैं । यह डिस्क चेन द्वारा ग्राउन्ड व्हील की सहायता से घूमती हैं जो कि फ्रेम पर लगा होता हैं । सभी डिस्क के पीछे एक-एक सीट लगी होती है जिस पर कि डिस्क में आलू डालने वाले व्यक्ति बैठते हैं। फ्रेम के पिछले भाग में फरो ओपनर के पीछे मिट्टी चढ़ाने वाले रिजर लगे होते हैं, जो कि कूड़ में आलू गिरने के बाद उसे फौरन मिट्टी से ढंक देते हैं तथा उस पर मिट्टी चढ़ा कर मेढ़ बना देते है। इस यंत्र से आलू की बुवाई करने के लिये हापर में आलू भर लिये जाते हैं (यह हापर पीछे की तरफ से खुला होता है)। प्रत्येक सीट पर एक-एक व्यक्ति बैठा दिया जाता है जो हापर में से आलू उठा कर डिस्क के होल में डालने का कार्य करते हैं। अब ट्रैक्टर खेत में ले जा कर बुवाई की जाती है। इस मशीन से एक घंटे में लगभग एक एकड़ में आलू की बुवाई की जा सकती है।



ट्रैक्टर चालित आटोमेटिक आलू प्लान्टर
इस यंत्र के द्वारा बिना किसी एक्सट्रा व्यक्ति को लगाये आटोमेटिक तरीके से आलू की बुवाई की जा सकती है। इस यंत्र का मेकेनिज़म पूरी तरह आटोमेटिक होता है। इस मशीन से भी आलू बुवाई में वे सभी कार्य होते हैं जो सेमी आटोमेटिक में होते हैं परन्तु इसमें आलू की मीटरिंग अपने आप यानी आटोमेटिक होती है। यह यंत्र सेमी आटोमेटिक की तुलना में काफी मंहगा तो होता ही है साथ ही इसका प्रचालन, समायोजन, रखरखाव केवल ट्रेन्ड आपरेटर ही कर सकता है।