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किसान भाई सोयाबीन उगाने में खून पसीना एक कर देते हैं। जब उसे बेचने की बारी आती है तो मनमाफिक दाम नहीं मिलते। किसान भाईयों को निराशा और हताशा ही हाथ लगती है। यदि इसी सोयाबीन को प्रसंस्कृत बाजार में बेचा जाए तो लाखों कमाए जा सकते हैं। वैसे तो सोयाबीन से कई उत्पाद तैयार होते हैं लेकिन नेशनल कृषि मेल एक ऐसे संयंत्र के बारे में जानकारी देने की कोशिश कर रहा है जो किसानों की आमदनी बढ़ाने में मील का पत्थर बन सकती है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है किसी तरह से किसान जो कच्चा माल खेतों से उत्पादित करता है उसे प्रोडक्ट बना कर बेचना। इसी श्रंखला में भाकृअनुप-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल और मैसर्स रॉयल प्लांट सर्विसेज, दिल्ली ने 100 लीटर/घंटे की क्षमता वाला एक स्वचालित सोयामिल्क प्लांट विकसित किया है। इस संयंत्र की विशेषताओं में भरण और पिसाई इकाई, भंडारण स्टोरेज टैंक, बॉयलर यूनिट, कुकर, विभाजक, न्यूमेटिक टोफू प्रेस और कंट्रोल पैनल आदि शामिल हैं। ग्राइंडिंग सिस्टम में टॉप हॉपर, फीडर कंट्रोल प्लेट, बॉटम हॉपर और ग्राइंडर शामिल हैं।
ये रहा स्वचालित सोया दूध संयंत्र
स्वचालित सोया दूध संयंत्र एक ऐसी मशीन है जिसकी मदद से सोयाबीन का दूध और टोफू बनाया जा सकता है। यह दोनों ही बाजार में आसानी से बेचे जा सकने वाले उत्पाद हैं। सोयाबीन दूध सयंत्र से हर दूसरे दिन लगभग 70 लीटर सोया दूध और 10 किलोग्राम टोफू का उत्पादन किया जा सकता हैं। सोया दूध मूलतः सोयाबीन का निचोड़ (रस) होता है। तैयारी के मूल चरणों में सोयाबीन का चयन, पानी में मिलाना, पीसना और फाइबर (ओकरा) से सोया दूध को अलग करना, लिपोऑक्सीजिनेज और ट्रिप्सिन अवरोधकों को निष्क्रिय करने के लिए पकाना, सूत्रीकरण करना, गढ़ बनाना और सोया दूध की पैकेजिंग करना शामिल है। इस मशीन से प्रतिवर्ष लगभग 20 टन सोया दूध पाउडर और 3-4 टन टोफू का उत्पादन किया जा सकता है ।
संयंत्र किस प्रकार काम करता है
इस सयंत्र में भरण और पिसाई इकाई, भंडारण स्टोरेज टैंक, बॉयलर यूनिट, कुकर, विभाजक, न्यूमेटिक टोफू प्रेस और कंट्रोल पैनल आदि शामिल हैं। ग्राइंडिंग सिस्टम में टॉप हॉपर, फीडर कंट्रोल प्लेट, बॉटम हॉपर और ग्राइंडर शामिल हैं। चक्की से आने वाली सोया घोल को स्टोरेज टैंक में इकट्ठा किया जाता है और स्क्रू पंप असेंबली द्वारा कुकर में पंप किया जाता है। 12 किलोवाट हीटर और कुकर के बॉयलर स्वचालित दबाव वाल्व द्वारा जुड़े होते हैं और वांछित दबाव और तापमान पर कुकर को आसानी से भाप जारी करते हैं। फीड दर को 20 किग्रा/घंटा पर नियंत्रित किया जाता है। कुकर में 490 केपीए का भाप दाब तथा 150 डिग्री सेल्सियस का तापमान जारी किया जाता है। जब कुकर का दबाव और तापमान क्रमशः 2.5 किलो और 120 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है और इस स्थिति को 3 मिनट तक बनाए रखा जाता है तब स्वचालन वाल्व खुल जाता है और सोया घोल विभाजक को पंप करता है। विभाजक वांछित सोया दूध और ओकारा को अलग कर देता है। विकसित स्वचालित सोया दूध संयंत्र बहुत अच्छी गुणवत्ता वाले दूध का उत्पादन करता है।
ये है लागत और मुनाफा
स्वचालित सोया दूध संयंत्र से दूध बनाने में लागत और आय सोया दूध और टोफू की बिक्री की लागत क्रमशः 40 रुपए प्रति लीटर और 150-200 रुपए प्रति किलो है। सोया दूध और टोफू के उत्पादन की लागत को क्रमशः 15 रुपए प्रति लीटर और 50 रुपए प्रति किलोग्राम है । इस तरह से देखा जाए तो इस यंत्र की मदद से लाखों रुपये की कमाई की जा सकती है। इस मशीन की कीमत लगभग 2 लाख रुपये है जिसे किसान भाई से प्राप्त कर सकते हैं।
कहां से मिलेगी पूरी जानकारी
यह यंत्र उत्पाद प्रसंस्करण प्रभाग, केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल के द्वारा विकसित किया गया है जो भी इच्छुक किसान भाई इसके बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं यहाँ से ले सकते हैं साथ ही यहाँ से मशीन भी प्राप्त कर सकते हैं। इतना ही नहीं केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान भोपाल द्वारा सोयाबीन से अन्य उत्पाद जैसे सोया बिस्किट, सोया आटा आदि उत्पाद बनाने की मशीने भी विकसित की गई है साथ ही यहाँ किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है । इसका लाभ लेकर किसान सोयाबीन आधारित अपना उद्योग स्थापित कर सकते हैं।