मशरुम लगाएं खूब कमाएं: ये रहा उत्पादन का तरीका

एनकेएम,भोपाल। मशरुम उगाना बेहद आसान है। इसे कम से कम जगह में उगाया जा सकता है। इसकी देखरेख के लिए भी ज्यादा समय नहीं देना होता है। चाहें तो इसका उत्पादन घर में भी किया जा सकता है। जहां तक इसके बेचने की बात है। तो इसके लिए उद्यमी को खुद ही प्रयास करना होंगे। मशरुम का उपयोग बड़े बड़े होटल,रेस्टोरेंट में होता है और इसे आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली कंपनियां भी खरीदती हैं। इसलिए थोड़ा सा प्रयास और मेहनत ग्रामीण युवाओं के लिए सार्थक परिणाम दे सकती है। बहुत ही कम लागत में इस उद्योग को शुरु किया जा सकता है। नेशनल कृषि मेल बेरोजगार युवाओं को सलाह देता है कि इसे उगाने से पहले पूरी जानकारी एकत्रित करें। कहीं कोई भ्रम की स्थिति हो तो पहले उसे दूर करें। इसके बाद बाजार की नब्ज टटोले अपना माल कहां और कैसे खफा सकते हैं इसके लिए पूरी गंभीरता से प्रयास करें। सभी सवालों के जवाब मिल जाएं,इसके बाद इस व्यावसाय को प्रारंभ करें। चॅूकि मशरूमों में वसा की मात्रा बिल्कुल कम होती हैं, विशेषकर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की तुलना में, और इस वसायुक्त भाग में मुख्यतया लिनोलिक अम्ल जैसे असंतप्तिकृत वसायुक्त अम्ल होते हैं, ये स्वस्थ ह्दय और ह्दय संबंधी प्रक्रिया के लिए आदर्श भोजन हो सकता है। पहले, मशरूम का सेवन विश्‍व के विशिष्ट प्रदेशों और क्षेत्रों तक ही सीमित था पर वैश्‍वीकरण के कारण विभिन्न संस्कृतियों के बीच संप्रेषण और बढ़ते हुए उपभोक्तावाद ने सभी क्षेत्रों में मशरूमों की पहुंच को सुनिश्‍चित किया है। मशरूम तेजी से विभिन्न पाक पुस्तक और रोजमर्रा के उपयोग में अपना स्थान बना रहे हैं। एक आम आदमी को रसोई में भी उसने अपनी जगह बना ली है। उपभोग की चालू प्रवृत्ति मशरूम निर्यात के क्षेत्र में बढ़ते अवसरों को दर्शाती है।



मशरूम की खेती का व्यापार कैसे शुरू करें  
अगर आप किसान है और अतिरिक्त धन कमाकर अपना एक नया व्यापार खोलना चाहते है, तो मशरूम की खेती करना आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। हालांकि इसमें अच्छी पैदावार पाने हेतु आपको बहुत ख्याल रखना होता है, अगर आप इसमें मेहनत करते हैं तो फायदा भी काफी ज्यादा होता है। अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में इसकी खेती आरम्भ हो चुकी है। इतना ही नहीं हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर जैसे ठंड़े राज्यों में भी मशरूम की खेती की जाने लगी है। पूरे विश्‍व में एशिया एवं अफ्रीका के क्षेत्रों में इसकी मांग काफी अधिक देखने को मिलती है।


मशरूम क्या है 
मशरूम एक तरह का पौधा है लेकिन फिर भी इसको मांस की तरह देखा जाता है। मतलब आप इसको शाकाहारी पौधा तो नहीं कह सकते हैं। इसमें अधिक मात्रा में प्रोटीन एवं पोषक तत्व मौजूद होते हैं जैसे की विटामिन डी। यह फफूंद से बनता है और इसके आकार के बारे में कहा जाय तो लगभग एक छत्ते के आकार का होता है।


मशरूम के प्रकार 
अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी लगभग 10000 किस्में हमारी धरती पर मौजूद है। लेकिन अगर व्यापार के नजरिये से देखें तो मशरूम की लगभग 5 किस्में ही मौजूद है, जिनमें से सिर्फ 5 ही किस्में अच्छी मानी जाती है. जिनके नाम क्रमशः बटन मशरूम, पैडी स्ट्रॉ, स्पेशली मशरूम, दवाओं वाली मशरूम, धिंगरी या ओएस्टर मशरूम हैं। इनमें बटन मशरूम सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली किस्म है। कभी-कभी इसको मिल्की मशरूम भी कहा जाता है।


बीज की अनुमानित कीमत
इसके बीज की कीमत लगभग 75 रुपए प्रति किलोग्राम होती है, जो कि ब्रांड और किस्म के अनुसार बदलती रहती है। इसलिए आपको पहले यह तय करना होगा, कि आप किस किस्म की मशरूम को उगाना चाहते है। 


मशरूम कहां बेचे 
मशरूम की मांग कई जगहों पर होती है, इसको बेचने के लिए उपयुक्त स्थानों में होटल, दवाएं बनाने वाली कंपनियां आदि आते हैं। इसके अलावा मशरूम का उपयोग अधिकतर चाइनीज खाने में किया जाता है। इसके अन्य लाभकारी गुणों के कारण इसको मेडिकल के क्षेत्र में भी उपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं इसका निर्यात एवं आयात भी कई देशों में किया जाता है, अर्थात इसको बेचने के लिए बहुत से क्षेत्र मौजूद है।


मशरूम की उपयोगिता
भारत में मशरूम की खेती का प्रचलन दिन प्रतिदिन काफी बढ़ता जा रहा है। जैसे जैसे मनुष्य मानसिक एवं आधुनिक युग की तरफ अग्रसर हो रहे है, वो अपने शरीर के पोषक तत्व युक्त, गुणकारी, पाचनशील, स्वादिष्ट उपयोगी सब्जी भी अपने भोजन में लेना पसंद कर रहे है। मशरूम से हमारे शरीर को काफी मात्रा में प्रोटीन, खनिज-लवण, विटामिन बी, सी व डी मिलती है जो अन्य सब्जियों की तुलना में काफी ज्यादा होती है। इसमें मौजूद फोलिक अम्ल की उपलब्धता शरीर में रक्त बनाने में मदद करती है, इसका सेवन मनुष्य के रक्तचाप, हृदयरोग, में लाभकारी होता है। वैसे तो मशरूम की खेती कई जगह की जाती है लेकिन, यहां हम जानेंगे की कैसे किसान कम लागत में इसकी खेती करके ज्यादा मुनाफा कमा सकता है।


बटन मशरूम उगाने का समय 
बटन मशरूम उगाने का सही समय अक्टूबर से मार्च के महीने में होता है, इन छ: महीनों में दो फसलें उगाई जाती हैं। बटन खुम्बी की फसल के लिए आरम्भ में 220-260 तापमान की आवश्यकता होती है, इस ताप पर कवक जाल बहुत तेजी से बढ़ता है बाद में इसके लिए 140-180 ताप ही उपयुक्त रहता है. इससे कम ताप पर फलनकाय की बढ़वार बहुत धीमी हो जाती है।


कम्पोस्ट बनाने की विधि
बटन मशरूम की खेती एक विशेष प्रकार की खाद पर ही की जाती है जिसे कम्पोस्ट कहते हैं. मशरूम कम्पोस्ट तैयार करने के लिए किसी विशेष मूल्यवान मशीनरी या यन्त्र की जरूरत नही पड़ती है। कम्पोस्ट बनाने में निम्न प्रकार की सामग्री काम में ली जाती है जिसमें गेहूं या चावल का भूसा 1000 किलोग्राम, अमोनियम सल्फेट, केल्शिम अमोनियम नाईट्रेट-27 किलोग्राम, सुपरफौसफेट-10 किलोग्राम, यूरिया-17 किलोग्राम, गेहूं का चोकर 100 किलोग्राम जिप्सम 36 किलोग्राम की जरूरत होती है।



कम्पोस्ट शेड में ही तैयार किया जाता है। कम्पोस्ट तैयार करने में करीब 28 दिन का समय लगता है। सबसे पहले समतल एवं साफ फर्श पर भूसे को 2 दिन तक पानी डाल कर गिला किया जाता है, इस अवस्था में भूसे में नमी 75 प्रतिशत होनी चाहिए और भूसा अधिक गिला नही होना चाहिए। 2 दिन तक पानी गिराने के बाद फिर भूसे को तोड़ कर देखें भूसा अन्दर से सुखा न हो तो ठीक अन्यथा सुखा हो तो फिर से पानी मिलाएं। इस गीले भूसे में जिप्सम के अलावा सारी सामग्री को मिला कर उसे थोड़ा और गिला करें। इस बात का ध्यान रखें की पानी उसमे से बाहर न निकले फिर भूसे से एक मीटर चौड़ा एवं तीन मीटर तक लम्बा (लम्बाई कम्पोस्ट की मात्रा के अनुसार) और करीब डेढ़ मीटर ऊंचा चौकोर ढ़ेर बना लें। ढ़ेर को 2-3 दिन तक ऐसे ही पड़ा रहने दें। 3 दिन बाद ढ़ेर की पलटी शुरू करें, एवं ध्यान रखें की ढ़ेर का अन्दर का हिस्सा बाहर और बाहर का हिस्सा अन्दर आ जाए। 


बीजाई(स्पानिंग) 
मशरूम का बीज ताजा, पूरी बढ़वार लिए एवं अन्य फफूंद से मुक्त होना चाहिए। बीज की मात्रा एक क्विंटल कम्पोस्ट में .75 से 1 किलोग्राम होनी चाहिए। इस बीज को कम्पोस्ट में अच्छी तरह मिलाकर या तो पोलीथिन की थैलियों (12 इंच) या पोलीथिन शीट (6-8 इंच) पर शेल्फ में भर दें। पोलीथिन की थैलियों को ऊपर से मोड़ कर बंद कर देना चहिए जबकि शेल्फ पर अखबार ढ़क देना चाहिए। थैलियां 8 किलोग्राम कम्पोस्ट भरने के लिए उपयूक्त हो, इससे उत्पादन 10 किलोग्राम कम्पोस्ट के बराबर मिलता है। इस समय कमरे का ताप 250 से कम एंव नमी 70 प्रतिशत रखनी चाहिए। करीब 15 दिन बाद स्पान रन पूरा हो जाता है और उसके बाद केसिंग की आवश्यकता होती है।



मूल्य संवर्धन
मशरूम तोड़ने के बाद, आकार के अनुशार उनकी छटनी कर लें तथा 3 प्रतिशत कैल्शियम क्लोराइड घोल से धोकर उसे फिर साफ पानी से धोएं। इसे कपड़े पर फैला दें ताकि अतिरिक्त पानी सूख जाए फिर 250 ग्राम, 500 ग्राम के पैकेट बना कर सील कर दें एवं थैलियों में थोड़े कर दें और इसे रेफ्रीजिरेटर में 7-8 दिन तक रख सकते हैं। ताजा मशरूम भी बाजार में आसानी से बिक जाती है। मशरूम के अनेक उत्पाद जैसे आचार, चिप्स, बिस्कुट, सूप पाउडर, बढ़ियां, एवं नूडल्स आदि बना कर भी बेचा जा सकता है।