गांव में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। जरूरत सिर्फ संभावनाओं को तलाशने कीं हैं। ग्रामीण महिलाएं अपने ही गांव में अपना रोजगार कर सकतीं हैं। ऐसे कई साधन है जिससे आय में वृध्दि की जा सकती है।
बीज उत्पादन एवं नर्सरी
फल, फूलों और सब्जियों के बीज अत्यंत छोटे होते हैं जो बिना उपचार के नहीं उगते। कुछ का तो सिर्फ प्रवर्धन ही किया जाता है। इसलिए बाग-बगीचों एवं पुष्प वाटिकाओं में फल-फूल एवं शोभाकारी पेड़-पौधों की बागवानी की अन्य फसलों के लिए सामान्यतः बीजों की सीधी बुआई न करके नर्सरी में पहले उनकी पौध तैयार की जाती है। इसके बाद खेतों या बागों में इनका रोपण किया जाता है। नर्सरी में पौध तैयार करने के लिए कई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए ट्रेनिंग लेना भी आवश्यक है। यही नहीं, शिक्षित बेरोजगार भी सब्जी बीज उत्पादन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।
सुगंधित पौधों की खेती
लहसुन, प्याज, अदरक, करेला, पुदीना और चोलाई जैसी सब्जियाँ पौष्टिक होने के साथ-साथ औषधीय गुणों से भी भरपूर हैं। इनसे कई तरह की आयुर्वेदिक औषधि एवं खाद्य पदार्थ बनाकर ग्रामीण युवा अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। सुगन्धित पौधों की खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय औषधीय एवं सुगंधित पादप अनुसंधान केन्द्र, बोर्यावी, आणंद से सम्पर्क किया जा सकता है। इसी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कृषि-सम्बद्ध अन्य उपयोगी व्यवसायों का भी काम लिया जा सकता है जिनके माध्यम से रोजगार के सृजन के साथ आमदनी का स्रोत भी बेरोजगार युवाओं के लिए अत्यंत कम पूँजी से विकसित कर पाना सम्भव है। प्रायः सभी तरह की ऐसी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए केन्द्र सरकार और प्रत्येक राज्य सरकारों द्वारा कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। बेहतर होगा कि सम्बन्धित राज्य सरकार के विभागों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और वित्तीय सहायता के प्रावधानों की जानकारी वेबसाइट से प्राप्त करने का प्रयास करें। इनसे सम्पर्क करें और समुचित विवरण हासिल करने के बाद ही ऐसे कार्य शुरू करें।