खेती का तरीका बदला तो आत्मनिर्भर बन गए दिनेश बग्गड़ 

धार से राजेश शर्मा
धार जिले के सरदारपुर तहसील के ग्राम राजौद के किसान दिनेश बग्गड़ ने खेती के तरीकों में नए-नए प्रयोगों से बदलाव कर आर्थिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर सफलता की नई ईबारत लिखी है। किसान दिनेश के पिता शुरू से सब्जी व खाद्यान्न की खेती करते आ रहे थे। परम्परागत खेती करने के कारण उत्पादन अधिक नही हो पाता था यहीं परिणाम है कि उनकी माली हालत कमजोर थी। बड़ा परिवार होने के कारण आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था। दिनेश शुरू से ही कृषि तथा बागवानी में रूचि रखते है।


ड्रीप लाईन बिछाई गई 
कृषक दिनेश के पास 8 बीघा कृषि भूमि है और 2 कुएं तथा 2 ट्यूबवेल और एक 80 लाख लीटर पानी की क्षमता का पोण्डलेण्ड तालाब है। कृषि भूमि में से 5 बीघा क्षेत्र में वर्ष 2012 में अमरूद के 1250 पौधे लगाएं गए है। यह पौधे वीएनआर बीही-1 प्रजाति के है और रायपुर से लाकर लगाए गएं है। अमरूद की यह प्रजाति 2 वर्ष में फल देना शुरू कर देती है अब तक 5 फसल ले चुके है। अमरूद फसल की सिंचाई के लिए शुरू से ही ड्रीप लाईन बिछाई गई है। जैसे-जैसे यह फसल बड़ी होती जाती है, वैसे-वैसे ड्रीप की लाईन भी बढ़ाई जाती है, ताकि अमरूद के पौधों को आवश्यकतानुसार पानी उचित मात्रा में उपलब्ध होता रहे। अमरूद की फसल में सिंचाई के दौरान ड्रीप से वेन्च्चूरी के माध्यम से घुलनशील खाद दिया जाता है। कृषक का कहना है कि मैंने उद्यानिकी विभाग के माध्यम से ड्रीप सिंचाई योजना के अन्तर्गत 2014 में एक हैक्टेयर में ड्रीप लाईन बिछाई थी इसकी लागत 70 हजार रूपये थी। 35 हजार रूपये स्वयं खर्च किए थे और शासन द्वारा 35 हजार रूपये अर्थात 50 प्रतिशत का अनुदान लाभ दिया गया था। 


अमरूद को फोमनेट से बांधा
अमरूद के फल को सुरक्षित रखने के लिए तीन स्तर पर बांधा जाता है। फसल की क्वालिटी में सुधार लाने व सुदूर बाजार में बेचने में सुविधा होती है जिससे फल खराब नही होता है और उसका भाव भी अच्छा से अच्छा मिलता है। अमरूद को फोमनेट से बांधा जाता है। यह फोमनेट राजकोट तथा बडौदा से क्रय कर उपयोग किया जाता है। फल को 20 किलोग्राम के बॉक्स में पैक करके विक्रय के लिए जिले से बाहर दिल्ली, बम्बई, बैंगलोर, हैदराबाद, अहमदाबाद, जयपुर, इन्दौर आदि स्थानों पर विक्रय किया जाता है। अमरूद का बाजार भाव लगभग 65 रूपये से 200 रूपये प्रति किलो मिल जाता है। किसान दिनेश को वर्ष 2013 में आत्मा योजना के तहत प्रधानमंत्री द्वारा जिले का सर्वश्रेष्ठ किसान का 51 हजार रूपये का पुरूस्कार प्रदाय किया गया था। किसान का कहना है कि वह इस फसल से प्रति वर्ष शुद्ध रूप से 20 लाख रूपये की आय अर्जित कर लेते है। किसान से कई किसानों ने प्रेरणा प्राप्त कर कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़े हैं।