नेशनल कृषि मेल,संवाददाता
यदि वास्तव में आपको लगता है कि खेती की लागत कम करना है और मुनाफा बढ़ाना है तो ये जानकारी आपके लिए है। जैबिक खेती से जहां पर्यावरण संरक्षित रहता है वहीं खेती में होने वाले खर्चो को रोका जा सकता है। रबी सीजन की शुरुआत अक्टूर से हो जाती है। किसान भाई रबी की बोनी की तैयारी करने लगते हैं। ऐसे में बीज बोने से पहले उन्हे बीजोपचार करना पड़ता है। आपको बता दें कि बीजोपचार जैबिक तरीके से करेंगे तो कोई खर्चा नहीं आए। इसके अलावा कीट व्याधि और तमाम रोगों से भी फसल को सुरक्षित किया जा सकता है। सबसे पहले हम बात करते हैं बीचोपचार कैसे किया जाए।
ऐसे करें बीजोपचार
प्राय: हर गांव में बड़ का विशालकाय वृक्ष होता ही है। इसी वृक्ष के आसपास से मिट्टी एकत्रित कर लें। चॅूकि इस पेड़ पर सैकड़ों पक्षियों का बसेरा होता है इसलिए इनकी बीट जैबिक खेती के लिए बेहद उपयोगी होती है। इसी मिट्टी में अमृतपानी की इतनी मात्रा मिलाये कि वह घोल बीज पर छिडकने के लायक हो जाये। बीज पर उक्त घोल को छिड़ककर अच्छी तरह मिलाने के लिए हल्के हाथों से मिलावें या सुपे में बीज लेकर उसमें उक्त घोल का छिड़काव करे एवं सूपे को हिलाकर बीज को उपचारित कर या पुराना मटका लेकर उसमें थोड़ा बीज भरकर उसमें घोल का छिड़काव कर मटके को अच्छी तरह हिलावे ताकि घोल का बीज पर अच्छी तरह लेप हो जावे। इस लेप किए हुए बीज को छाया में सुखा लें फिर बुआई करें।
सावधानी भी रखना होगी
अरहर, सोयाबीन, मूंगफली के बीज का छिलका बहुत नरम होता हैं। इसलिए ऐसेे बीजों पर बहुत ही हल्का लेप चढ़ाकर शीघ्र बोआई करना चाहिए।जिन फसलों की रोपाई होती हैं जैसे मिर्ची, टमाटर, बैंगन इत्यादी की रोप की अमृत जड़ों को रोपने के पूर्व 10 मिनट तक अमृत पानी में डुबोकर रखने से बिमारियों का आक्रमण बहुत कम हो जाता है। हल्दी, अदरक, आलू, गन्ना, केला, अरबी इत्यादी फसलों की गांठों या कंदों को अमृत पानी में 10 मिनट तक डुबोकर लगाना चाहिए जिससे स्वस्थ अंकुरण होगा और फसल बिमारियों से बहुत कम प्रभावित होती है। ऐसा अनुभव किया गया है।