एनकेएम,नई दिल्ली। दूध उत्पादन के लिहाज से वैश्विक दूध बाजार में भारत का वर्चस्व आगे भी बरकरार रह सकता है क्योंकि ताजा आंकड़े में संकर एवं देसी दोनों नस्लों के दुधारू मवेशियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 20वीं मवेेशी गणना के अनुसार देश में गोवंश की कुल संख्या में मामूली इजाफा हुआ है, जबकि पिछले कुछ वर्षों में इनकी संख्या घट रही थी। लेकिन 2012 से 2019 के दौरान देसी नस्ल के गोवंश की संख्या में गिरावट चकित करने वाली रही। 2019 में देश में गोवंश की संख्या 19.24 करोड़ थी, जो 2012 की गणना से करीब 0.8 फीसदी अधिक है। 2012 में गोवंश की कुल संख्या 2007 के 19.90 करोड़ से घटकर 19.09 करोड़ रह गई थी।
53.57 करोड़ हो गई मवेशियों की संख्या
गोवंश की संख्या में बढ़ोतरी मुख्य रूप से संकर नस्ल की मवेशियों की संख्या बढऩे की वजह से हुई है। संकर नस्ल की गायें ज्यादा दूध देती हैं इसलिए किसान इसे पालना पसंद करते हैं। संकर नस्ल की मादा की संख्या 2012 के 3.37 करोड़ से 30 फीसदी बढ़कर 2019 में 4.69 करोड़ से अधिक हो गई, वहीं देसी मादा गायों की संख्या 10 फीसदी बढ़कर 2019 में 9.81 करोड़ पहुंच गई। हालांकि देसी नस्ल के मवेशियों की कुल संख्या 2019 में 2012 की तुलना में कम हुई है लेकिन देसी मादा मवेशियों की संख्या खासी बढ़ी है। 2012 से 2019 के दौरान दुधारू मवेशियों की कुल संख्या 6 फीसदी बढ़ी है। संकर मवेशियों ने 2018-19 में भारत में कुल 18.8 करोड़ टन दुग्ध उत्पादन में लगभग 28 फीसदी का योगदान दिया। 20वीं मवेशी गणना के अनुसार भैंस की संख्या भी बढ़कर 10.98 करोड़ हो गई, जो वर्ष 2012 में 10.87 करोड़ थी। कुल मिलाकर, आंकड़ों से पता चलता है कि मवेशियों की कुल संख्या 2019 में बढ़कर 53.57 करोड़ हो गई है, जो वर्ष 2012 में 51.20 करोड़ थी। इस बढ़ोतरी में भेड़ और बकरी की संख्या का खासा योगदान रहा है।
देश में बढ़ी दुधारु पशुओं की संख्या,दूध उत्पादन बढ़ने की संभावना